राष्ट्रीय उद्यान
राष्ट्रीय उद्यान अंतर्गत सभी आरक्षित वन आते हैं। इस प्रकार के वनों में कटाई, और पशुओं को चराना सख्त मना है। अगर छत्तीसगढ़ की बात कहें तो सर्वाधिक आरक्षित वन बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में है तो न्यूनतम आरक्षित वन कोरबा जिले में हैं। भारतीय वन प्रतिवेदन 2017 के अनुसार छत्तीसगढ़ में 27, 782 वर्ग किमी वन क्षेत्र आरक्षित हैं जो पूरे देश का 44.14 प्रतिशत क्षेत्र है।
छत्तीसगढ़ में तीन राष्ट्रीय उद्यान हैं वे हैं -
- कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
 - इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान
 - और गुरूघासी दास राष्ट्रीय उद्यान
 
कांगेर घाटी 
इसकी स्थापना 22 जुलाई 1982 में हुई थी। इस पार्क में एकमात्र तितली पार्क बनाया गया है जिसे तितली जोन कहते हैं। यह छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है जिसे एशिया का सबसे पहला बायोस्फीयर घोषित किया गया है। यहाँ पहाड़ी मैना जो प्रदेश
- 330 करोड़ साल पहले बनी भूमिगत गुफाएं है। यहाँ 14 किमी लम्बा बायोस्फीयर में हवा की शुद्धता 100 फीसदी आंकी जा चुकी है।
 
- मगर बाघों के लिए अनुकूल वातावरण होने के वावजूद यहाँ से बाघ घट हो रहें है।
 
इसके अलावा भी ऐसे कई स्थल हैं जो पर्यटन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में कई ऐसी देखने लायक जगहें हैं जिन्हें निहारने प्रतिवर्ष देश विदेश से सैलाली आते हैं । यहाँ पर आने जाने के लिए वन विभाग ने जिप्सी की व्यवस्था की है । यहाँ एक तरफ प्राकृतिक गुफाएं तो दूसरी तरफ जलप्रपात और झरने हैं ।
कांगेर घाटी में स्थित प्रमुख पर्यटन स्थल इस प्रकार है
गुफाएं -कोटमसर, कैलाश गुफा , दंडक गुफा, कांगेर करपन, देवगिरी शीतगुफा और झुमरी गुफा
जलप्रपात- तीरथगढ़, कांगेर धारा, कुडुंगखेदरा, शिवगंगा, रानीदरहा एवं झूलना-दरहा
इसके अतिरिक्त इन्हें भी देखने कांगेर घाटी में लोग आते हैं। भीमकाय वृक्ष, हाथीपखना, दीवान डोंगरी, भैंसा दरहा झील, परेवाॅबाड़ी, कैलाश झील, राॅक-शेल्टर,कांगेर खोलाब संगम,लोअर कांगेर, मनोरम स्थल, भैंसादरहा, एवं एशिया का प्रथम, श्रेष्ठ प्राणवायु क्षेत्र बायोस्फियर यानि जीवमंडल । यहाँ मौजूद करोड़ों वर्ष पुराने पत्थर की प्रतिमाएं, कोटरीबहार,
इंद्रवती राष्ट्रीय उद्यानः-
यह उद्यान बीजापुर जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1978 में की गई थी। इस उद्यान के बीच इंद्रावती नदी बहती है । इस उद्यान में वन भैंसा, भालू, गौर और सांभर पाए जाते हैं। यह छत्तीसगढ़ राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है। प्रदेश  का प्रथम गेम सेंचुरी कुटरू इसी उद्यान में है। इसका कुल क्षेत्रफल 1258 वर्ग किमी है । 2009 में इसे टाईगर रिर्जव का दर्जा दिया गया जो राज्य का प्रथम टाइगर रिजर्व है। कांगेर घाटी के बारे में 
गुरू घासी दास राष्ट्रीय उद्यान:- 
यह बस्तर संभाग में नहीं है । यह छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में है। इसकी स्थापना 1981 में कोरिया व सूरजपुर जिलों में हई थी पूर्व में इसका नाम संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान था मगर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के साथ ही इसका कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश और कुछ छत्तीसगढ़ में आ गया  । छत्तीसगढ़ के हिस्से में आए भाग को सन् 2002 में गुरूघासीदास के नाम पर नया नाम दिया गया। इस उद्यान के बीच बनास नदी बहती है। यहाँ बाघ, साम्भर, तेंदुआ और नीलगाय मिलते हैं।  और
इसका कुल क्षेत्रफल 1441 वर्ग किमी है। इस प्रकार यह प्रदेष का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
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