गणेश चतुर्थी के तत्काल बाद पितृ पक्ष की शुरुवात होती
है, और ये 15 दिनों का यानि एक पखवाड़े का होता है / हिन्दु कैलण्डर के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पितृ पक्ष आता है। और इस महिने की शुरूआत पूर्णिमा तिथि से होती है और समाप्ति अमावस्या पर । पितृ पक्ष का क्या महत्व है । इसके बारे में विस्तृत जानाकरी के लिए इस ब्लाॅग को अंत तक अवश्य पढ़िए तथा कमेंट बाॅक्स पर अपनी टिप्पणी दीजिए
आइये जाने क्या है पितृ पक्ष ?
हिन्दू मान्यता के अनुसार मरने के बाद तीन पीड़ी की आत्माए पितृ लोक
में निवास करती है जिसका स्वामी यमराज होता है और यह स्वर्ग और पृथ्वी लोक के बीच
स्थित होता है / जब सूर्य तुला राशि में प्रवेश करता है (यानि सूर्य अपनी स्थिति बदलता है ) तब पितृ लोक में रहने वाली तीन पीड़ियों की आत्माएं पृथ्वी में आती
है अपने-अपने परिवार के घरों पर 16 दिनों तक रहती है, (जब तक सूर्य पुनः अपनी स्थिति परिवर्तन नही कर लेता )
इसी दौरान प्रत्येक व्यक्ति को अपने पूर्वजो का आदर सम्मान करना चाहिए दुसरे
शब्दों में जो पितृ लोक में रहते है उन्ही का ही पितृ पक्ष श्राद्ध या तर्पण किया
जाता है ये होता है भाद्र पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक , यानि 16
दिनों का ये अन्तराल “पितृ पक्ष कहलाता है /
इसकी शुरुआत कैसे हुई ?
कहते है महाभारत काल में जब कर्ण की मृत्यु हुई तो स्वर्ग में उनको
खाने के लिए केवल स्वर्ण ही परोसा गया जबकि कर्ण को वास्तविक भोजन की आवश्यकता थी /कर्ण
के प्रश्न करने पर इंद्र ने उत्तर दिया “तुमने जीवन भर केवल स्वर्ण ही दान में
दिया इसीलिए इसे ही खाना होगा/ तुमने कभी अपने पूर्वजो को भोजन नही कराया “ इस पर
कर्ण ने कहा मैंने तो अपने पूर्वजो को पुरे जीवन काल में जाना ही नही तो कैसे ये
करता ? इसपर कर्ण को 15 दिवस के लिए पृथ्वी पर भेजा गया ताकि वे अपने पूर्वजो का
तर्पण /श्राद्ध कर सकें / कहते है उसी समय से पितृ पक्ष की शुरुआत हुई /
क्या विधान होते है पितृ पक्ष में ?
विधान के अनुसार इस दौरान अगर आप अपने पूर्वजो को संतुष्ट कर गए तो आपको
धन , समृधि –सम्पदा का आशीर्वाद आपको देते है /
पितृ पक्ष अपने पूर्वजो का आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा मौका
देता है ,अब सवाल ये उठता है ये आशीर्वाद कैसे प्राप्त किया जा सकता है और क्या
नही करना चाहिए तथा क्या क्या करना चाहिए /
- इस मौके पर कोई शुभ कार्य (शादी, नया मकान, ज़मीन, वाहन नए कपडे खरीदना वगैरह) नही करना चाहिए /
- कुल की मर्यादा के विरुद्ध कार्य नही करना चाहिए
- झूठ बोलने या धोखा देने से बचना चाहिए /
- मांसाहार नही करना चाहिए
- उधार लेने देने का कार्य न करें
- मकानों का मरम्मत करवाना भी वर्जित है/
अब मै उन बातों को कहता हूँ जो इस दौरान प्रत्येक को करना चाहिए/
- सबसे पहले पुरे पक्ष में पितरों का तर्पण करना चाहिए , तर्पण के दौरान जल, पुष्प, तिल , कुश का अवश्य प्रयोग करना चाहिए
- यथा संभव दूसरों की मदद करें (तन मन व धन से ) यानि दान अवश्य करे /
- सात्विक (सादा ) भोजन करें, अगर संभव हो तो प्याज लहसुन का भी सेवन न करें /
- धार्मिक आचरण करे / समाज विरुद्ध कार्य न करें जिससे आपके परिवार तथा कुटुंब को शर्मिंदा होना पड़े
श्राद्ध मंत्र
इस पक्ष के दिनों में इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
ऊॅं नमो भगवते वासुदेवाय ।।
जिस दिन श्राद्ध हो उस दिना श्राद्ध की शुरूआत और समापन में इस मंत्र का जाप करना चाहिए!
देवताभ्यः पितृभ्ययश्च महायोगिभयन एव च । नमः स्वाहायै स्व धायै नित्ययमेव भ्ज्ञवन्युव त ।।
अच्छा ! एक ख़ास बात तो और है इसमें ,-
पूर्वजो को संतुष्ट करने का यह विधान भारत में ही नही बल्कि
दुनिया के अगल –अलग हिस्सों में देखने को मिलता है /
चीन में इसे “छिंग मिंग” नाम से मनाया जाता है जिसका अर्थ है “साफ़”
और “उज्जवल” ये 15 दिनों का तो ज़रूर होता है मगर 5 अप्रैल को शुरू होता है /
क्या करते है चीनी इस दौरान :-
चीनियों में इस दौरन कब्रिस्तान जाकर मोमबत्ती जलाने का रिवाज होता है तथा / पारिवारिक सदस्य वरीयता क्रम में समाधी के तीन चक्कर
लगते है /
पूर्वजो को भोजन कराते है और खुद ठंडा खाना खाते है /
इसी प्रकार जर्मनी में नवम्बर को पहली तारीख (जब हम छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस मानते है ) इसे “आल सैंट डे” कहते है /
हंगरी में “ ghost festival” के रूप में इसे मनाने की प्रथा है इसके आलावा इसे सिंगापूर, मलेशिया, जापान , थाईलैंड ,लाओस, वियतनाम,कम्बोडिया, ताईवान,
इंडोनेशिया में भी मनाया जाता है –
खास बात यह है कि यह अवसर हर
जगह 15 दिनों का ही होता है /
कृपया इसे भी देखे :-
